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रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर क्यों लिखा जाता है समुद्र तल से ऊंचाई

भारतीय रेलवे से सम्बंधित कई ऐसे संकेत और नियम होते हैं जिसे हम सामान्य नागरिक देखता तो हैं लेकिन उन्हें समझता नहीं है। हम साइनबोर्ड पर लगे संकेतों को देखकर उन्हें अनदेखा कर देते हैं। भारतीय रेलवे में न केवल नागरिकों के लिए संकेत बनाये गए है बल्कि ड्राइवरों, लाइनमैन, गार्ड और अन्य कर्मचारियों के लिए भी इन संकेतों का इस्तेमाल किया जाता है। कर्मचारियों के लिए ये संकेत इसलिए बनाए जाते है ताकि ट्रेन का परिचालन सुचारु रूप से चलता रहे।

भारत में रहने वाले लगभग हर नागरिक ने ट्रेन में यात्रा जरूर की होगी। यात्रा करते समय रेलवे स्टेशन पर एक चीज लिखी हुई दिखती है ‘समुद्र तल से ऊंचाई’ , इसके बारें में शायद ही किसी को मालूम होगा। समुद्र तल से ऊंचाई (Mean Sea Level, MSL) रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म के अंत में लिखा होता है।

अब सोचने वाली बात यह है कि आखिर ‘समुद्र तल से ऊंचाई’ का क्या मतलब है? आखिर यह बोर्ड पर क्यों लिखा होता है? क्या यह यात्रियों को बताने के लिए होता है या रेल कर्मचारियों के लिए। आइये आज इस बारें में विस्तार से जानते हैं।

क्यों लिखा होता है समुद्र तल से ऊंचाई

यह सर्वज्ञात है कि पृथ्वी गोल है। यही कारण है पृथ्वी के अलग-अलग हिस्से पर कर्व आता है। पृथ्वी की सतह से ऊंचाई नहीं मापी जाती है। पृथ्वी की सतह से नापने के लिए एक ऐसे पॉइंट या बिंदु की जरूरत होती है जो हमेशा कांस्टेंट रहे। इसलिए वैज्ञानिकों ने MSL अर्थात समुद्र तल से ऊंचाई का कांसेप्ट पेश किया।

समुद्र तल से ऊंचाई की गणना करना बहुत ही सहज और सरल होता है। इसका कारण यह है कि समुद्र के पानी की सतह हर जगह समतल अर्थात एक समान रहती है। MSL का सबसे ज्यादा प्रयोग सिविल इंजीनियरिंग में किया जाता है। सिविल इंजीनियर बिल्डिंग बनाते समय किसी जगह (साइट) की ऊंचाई नापने के लिए MSL का प्रयोग करते हैं।

आपको बता दें कि रेलवे स्टेशन पर MSL का संकेत यात्रियों के लिए नहीं होता है। यह ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड के लिए लगाया जाता है।

जब कहीं ‘200 मीटर समुद्र तल से ऊंचाई से 250 मीटर की ऊंचाई’ लिखा होता है तो इसका मतलब होता है कि ड्राइवर को 50 मीटर चढ़ाई के लिए इंजन को और ज्यादा पॉवर की जरूरत पड़ेगी। इन संकेतों से ड्राइवर यह अंदाजा लगाता है कि चढ़ाई या ढलान के लिए इंजन को कितना पॉवर देना है। जब ट्रेन ऊपर से नीचे की ओर आती है तो ड्राइवर को फ्रिक्शन लगाना पड़ता है। साफ़ शब्दों में समझा जाए तो MSL का प्रयोग ऊंचाई या ढलान देखकर स्पीड को कम या ज्यादा करने के लिए किया जाता है।

इसके अलावा MSL का प्रयोग ट्रेन के ऊपर लगे बिजली के तारों को समान ऊंचाई देने के लिए किया जाता है जिससे बिजली ट्रेन के तारों से हर समय टच होती रहे।

आइये रेलवे के कुछ ऐसे नियम के बारें में जानते है जिनसे काफी लोग अनजान हैं-

1- आपको बता दें कि टीटीई अब रात के दस बजे के बाद आरक्षित यात्रियों का टिकट नहीं चेक कर सकता है। रेलवे बोर्ड ने ऐसा निर्णय इसलिए लिया है ताकि यात्रियों की नींद खराब न हो। ऐसा देखा गया है कि टीटीई बीच रात में सोते हुए यात्रियों को जगाकर टिकट चेक करते थे। टीटीई अब रात में दस बजे से पहले और सुबह छह के बाद ही टिकट चेक करेंगे। इस टाइम में अगर टिकट चेक कर लिया जाता है तो दुबारा टिकट नहीं चेक किया जायेगा। लेकिन कुछ प्रावधान ऐसे भी हैं जिसके अंतर्गत बीच रात में भी टीटीई चेक कर सकता है। आइये जानते हैं।

– अगर यात्री रात दस बजे के बाद ट्रेन में चढ़ता है और उसकी यात्रा सुबह छह बजे तक रहती है तो इस कंडीशन में टीटीई उसका टिकट चेक कर सकता है।

– बोर्डिंग के पश्चात टीटीई ने टिकट चेक नहीं किया तो इस कंडीशन में भी टिकट बीच रात में चेक किया जा सकता है।

2- सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार अगर किसी यात्री का सामान ट्रेन में गुम या चोरी हो जाता है तो रेलवे विभाग का यह कर्तव्य है कि यात्री का सामान छह महीने के अंदर में खोज करके दे नहीं तो उस यात्री को उसके सामान का हर्जाना दें। अपने सामान के एवज में हर्जाना पाने के लिए यात्री को कुछ कागजी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जब सामान खो जाए तो यात्री रेल पुलिस को एक एफआईआर के साथ एक फार्म भरे, जिसमे यह उल्लेख करे कि अगर छह महीने के अंदर सामान न मिले तो वह उपभोक्ता फोरम में जा सकता है। सामान की कीमत का आकलन करने के बाद उपभोक्ता फोरम रेलवे को आदेश देगा कि यात्री को हर्जाना दे। एफआईआर दर्ज करते समय जीआरपी को यात्री से उपभोक्ता फोरम का फार्म भरवा लेना चाहिए।

वेटिंग टिकट से आरक्षित कोच में नहीं कर सकते यात्रा

3- अगर आपके पास वेटिंग टिकट है तो ट्रेन के आरक्षित कोच में आप यात्रा नहीं कर सकते हैं। अगर यात्रा करते समय टीटीई आपको पकड़ता है तो आपको दो सौ पचास रुपए जुर्माने के रूप में देने पड़ेंगे और अगले स्टेशन से जनरल बोगी से यात्रा करनी पड़ेगी। लेकिन अगर चार यात्रियों में से किसी दो के पास कन्फर्म टिकट है तो बाकी दो अन्य लोग उनकी टिकट पर जा सकते हैं।

4- भारतीय रेलवे में ई बेडरोल की सुविधा उपलब्ध है। ऑनलाइन आप बेडरोल को बुक करा सकते हैं। यह सुविधा अभी नई दिल्ली, हजरत निजामुद्दीन, सीएसटी और मुंबई सेन्ट्रल स्टेशनों पर उपलब्ध है। इन चार स्टेशन पर 140 रुपये में दो बेडशीट और एक तकिया को किराये पर लिया जा सकता है।

रेल मंत्रालय के आदेशानुसार अगर कोई 18 साल से कम उम्र का बच्चा ट्रेन में बिना टिकट के यात्रा करते हुए पकड़ा जाता है तो उससे केवल टिकट का पैसा वसूल किया जायेगा जुर्माना नहीं। अगर बच्चे के खिलाफ कार्रवाई करनी हो तो सबसे पहले एक रिपोर्ट तैयार करनी पड़ेगी उसके बाद ही उस बच्चे पर कार्रवाई की जा सकेगी।

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