जानिए पुलिस कैसे ट्रैक करती है अपराधी का मोबाइल और लोकेशन

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जब किसी का फोन गुम हो जाता है या कोई किसी का फोन चुरा लेता है, या जब कोई स्मार्टफोन के जरिये कोई धांधली करता है तो उसके फोन की लोकेशन को ट्रेस करके उसे धर दबोचा जाता है। यह सब हमने फिल्मों और टीवी में देखा है। आजकल के इन्टरनेट के जमाने में किसी भी डिवाइस की लोकेशन का पता लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है।

इन्टरनेट से कनेक्ट होने पर डिवाइस की लोकेशन को शेयर किया जा सकता है। यह सब स्मार्टफोन यानि की इंटरनेट वाले फ़ोन में होता है लेकिन अगर आपको कह दिया जाए कि किसी कीपैड फोन को ट्रेस करके दिखाओं तो आप क्या करेंगे। शायद आप इसकी लोकेशन को ट्रेस नहीं कर पायेंगे। यह काम सिर्फ साइबर पुलिस ही कर सकती है। आइये जानते हैं कैसे

कीपैड फ़ोन को ट्रेस करना

Keypad Mobile

कीपैड फोन में न तो इंटरनेट की फैसिलिटी होती है और न ही कोई जीपीएस होता है इसलिए इसे ट्रेस करना थोड़ा पेचींदा वाला काम होता है। कभी-कभी ऐसे केसेस में फोन में लगे सिम की लोकेशन को ट्रेस किया जाता है। हालांकि सिम नंबर से भी अपराधी की लोकेशन पता नहीं चल पाती है।

पुलिस मोबाइल फोन नंबर को ट्रेस करने के लिए ट्रैंगुलेशन मेथड का इस्तेमाल करती है। मोबाइल फोन को ऑन करने के बाद सिम नेटवर्क टावर से कनेक्ट हो जाती है। इसके बाद पुलिस को सिम कंपनी की मदद से अंदाजा मिल जाता है कि अपराधी किस टावर की रेंज में है।

ट्रैंगुलेशन मेथड को समझें

Trace Mobile

आमतौर पर यह रेंज 2G फोन, 3G फोन और 4G फोन के लिए अलग-अलग होती है। अगर पुलिस को सिम कंपनी की मदद से यह जानकारी मिल गयी कि सिम की रेंज टावर से 2 किलोमीटर दूर है तो उनको टावर के क्षेत्रफल में 2 किलोमीटर में फोन को खोजना पड़ता है। सटीक लोकेशन को जानने के लिए पुलिस को मोबाइल के अन्य नजदीकी टावर की जानकारी चाहिए होती है।

जब पुलिस को 3 टावर की जानकारी मिल जाती है तब ट्रैंगुलेशन मेथड काम आता है। जिसकी मदद से अगर मोबाइल पहले टावर से 2 किलोमीटर दूर, दुसरे टावर से 3 किलोमीटर दूर और तीसरे टावर से 2. 5 किलोमीटर दूर होता है तो मोबाइल का सटीक एरिया मिल जाता है। इस एरिया में पुलिस जाकर अपराधी को धर दबोचती है।

IMEI नम्बर से मोबाइल को ट्रैक करना

Find My Iphone Ipad Mac Apple Maps

IMEI का फुल फार्म ‘इंटरनेशनल मोबाइल इक्विपमेंट आइडेंटडिटी’ होता है। यह हर एक डिवाइस में होता है। इसे आप डिवाइस का आधार नंबर भी कह सकते हैं। पुलिस इस नंबर का इस्तेमाल डिवाइस को ट्रैक करने के लिए करती है।

जब भी कोई चोर मोबाइल चोरी करता है तो उसमे लगी सिम को वह निकालकर फेंक देता है। लेकिन जब उस फोन में कोई दूसरी सिम डालता है तो इसकी जानकारी सिम कंपनी को हो जाती है। चूँकि पुलिस पहले से ही सिम कंपनियों को IMEI नंबर को सर्विलांस करने की आदेश दिए रहती है इसलिए जब कोई डिवाइस में सिम डालता है तो इसकी जानकारी पुलिस को भी मिल जाती है।

फिर पुलिस ऊपर बताये गए ट्रैंगुलेशन मेथड का उपयोग करके अपराधी को पकड़ लेती है। स्मार्टफोन को चोरी करने पर उसे ट्रेस करना आसान हो जाता है क्योंकि उसमे इन्टरनेट और जीपीएस कनेक्ट हुआ रहता है। इस तरीके से पुलिस किसी भी अपराधी या गुम हुए फोन को खोज निकालती है।

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