पुरानी कहावत है कि ‘नाम में क्या रखा है’, लेकिन आजकल सब नाम के लिए ही हो रहा है। क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपको अपने गाँव या माता-पिता से सम्बंधित नाम के कारण आपके स्कूल या ऑफिस में मजाक उड़ाया गया हो। ऐसा होता है लोग अक्सर माँ-बाप के नाम से बच्चे का मजाक उड़ाते हैं। कभी-कभी इलाके के नाम को लेकर भी लोगों का मजाक उड़ता है। वैसे तो भारत के कई जगहों पर गाँवों के नाम बहुत अजीबों-गरीब हैं, जिनकी वजह से यहाँ पर रहने वाले लोगों को अपना नाम बाहर शहरों में बताने में शर्म आती है। इन गाँवों का नाम गाली की तरह होता है।
अप्शब्द नामों वाली जगहें ज्यादातर राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड है। अक्सर रेलवे स्टेशन के उटपटांग नाम होने से भी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा होती है। जैसे-जैसे इन अप्शब्द नामों की खबर चर्चा में आती है तो इसका नाम बदलने की कवायद की जाती है।
झारखंड के देवघर जिले में एक ऐसा ही गाँव था जहाँ के लोगों को अपने गाँव के नाम की वजह से काफी शर्मिंदगी झेलनी पड़ती थी। इस वजह से लोगों ने अपने गाँव का नाम बदलने की ठानी। इसमें उनको सफलता भी मिली। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस गाँव में रहने वाले छात्र-छात्राओं को अपने स्कूल-कालेजों में गाँव का नाम बताने में काफी शर्म आती थी क्योंकि लोग गाँव का नाम सुनते ही हंस पड़ते थे। इस वजह से बच्चे अपने गाँव का नाम बताते हुए संकोच करते थे। लोगों में डर रहता था कि अगर वे अपने गाँव का नाम बताएँगे तो लोग उनका मजाक उड़ायेंगे। यह नाम ही ऐसा था कि जो कोई भी सुनता तो एक बार जरूर हंस पड़ता। इसलिए इस गाँव के लोगों ने इस गाँव का नाम बदलने का बीड़ा उठाया।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस गाँव का नाम लोगों के जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, और इनकम प्रूफ और एड्रेस प्रूफ पर यही रहता था इसलिए लोगों ने इसे बदलने का निर्णय लिया।
गाँव के इस नाम की समस्या को सुलझाने के लिए बंका पंचायत के ग्राम पंचायत प्रधान रंजीत कुमार यादव ने गाँव के सारे सरकारी दस्तावेजों में नया नाम डालने के लिए गाँव के लोगों की एक बैठक बुलाई। सभी इस बैठक में गाँव का नाम बदलकर ‘मसूरिया’ करने पर राजी हुए। इसके बाद सरकारी दफ्तरों में इस नए नाम की एंट्री करायी गयी। कई महीनो के बाद जाकर गाँव का नाम बदला। अब राजस्व विभाग की वेबसाइट पर पुराने नाम ‘भो–डी” की जगह पर ‘मसूरिया’ हो गया है।
प्रधान रंजीत कुमार यादव नाम बदलवाने की जद्दोजहद पर चर्चा करते हुए कहा कि सरकारी पर्चे पर गाँव का नाम भद्दा होने से लोगों को शर्मिंदगी झेलनी पड़ती थी इसलिए सर्वसम्मति से नाम बदलने का फैसला लिया गया। अब अगर पीएम आवास योजना के तहत आवास आवंटित होता है तो नए नाम मसूरिया से आवंटित होता है। सभी प्रमाण पत्र पर गाँव के नए नाम से जारी होने लगे हैं।
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