महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी के 5 सबसे खराब फैसले, करना पड़ा था काफी आलोचना का सामना

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Bad Decisions Of Mahendra Singh Dhoni 696x365

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह भारत के महान कप्तान रहे है, इसमें कोई शक की बात नहीं है। उन्होंने भारत को आईसीसी की सभी ट्राफी अपनी कप्तानी में दिलाई। उन्होंने कई खिलाड़ियों को उनके करियर के शुरूआती स्टेज में मौका देकर उन्हें बड़ा खिलाड़ी बनाया और ये खिलाड़ी आज भारतीय टीम के लिए बड़े एसेट के रूप में काम कर रहे है।

वैसे तो धोनी जो भी फैसला लेते हैं, उस पर भारतीय टीम तो क्या विपक्षी टीम भी कायल हो जाती है। धोनी कितने अच्छे कप्तान है यह हर क्रिकेट प्रेमी जानता है। आइये आज धोनी द्वारा लिए गए कुछ ऐसे फैसले के बारें में जानते है जिसके लिए उनकी काफी आलोचना हुई।

1- विराट कोहली से 2016 टी20 कप के सेमीफाइनल में लास्ट ओवर में गेंदबाजी कराना

Dhoni Kohli

भारत ने 2016 टी20 कप की मेजबानी की थी। इस दौरान धोनी टीम के कप्तान थे। सेमीफाइनल मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 192 रनों का स्कोर खड़ा किया। लक्ष्य का पीछा करते हुए वेस्टइंडीज को अंतिम ओवर में सिर्फ 8 रनों की जरुरत है। आर अश्विन के 2 ओवर बचे थे लेकिन धोनी ने आखिरी ओवर विराट कोहली से कराया। और वेस्टइंडीज ने यह मैच जीत लिया। धोनी के इस फैसले की बहुत आलोचना हुई थी।

2- CSK के खिलाड़ियों को ज्यादा अहमियत देना

Ravindra Jadeja MS Dhoni

धोनी आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स की तरफ से खेलते है। धोनी के ऊपर आरोप लगते रहे कि वह अपनी आईपीएल टीम के खिलाड़ियों को भारतीय टीम ज्यादा वरीयता देते हैं। सीएसके टीम के कई खिलाड़ियों को धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम से डेब्यू करने का मौका भी मिला। मोहित शर्मा, रविन्द्र जडेजा, सुरेश रैना और आर अश्विन जैसे खिलाड़ियों का प्रदर्शन ख़राब होने के बावजूद धोनी उन्हें भारतीय टीम में खिलाते रहे है। जिसकी लिए उनकी काफी आलोचना होती रही।

3- 2009 टी20 विश्व कप में रविन्द्र जडेजा को नंबर 4 पर भेजना

Dhoni Raina Jadeja

2009 टी20 विश्व कप में धोनी ने इंग्लैण्ड के खिलाफ एक अहम् मैच में टीम में युवराज सिंह और युसूफ पठान जैसे सरीखे बल्लेबाज़ होने के बावजूद जडेजा को नंबर चार पर भेजा था। जडेजा ने नंबर 4 पर बल्लेबाजी करते हुए 35 गेंदों पर 25 रन बनाये और भारत यह मैच 3 रन से हार गया। धोनी का यह फैसला उनकी कप्तानी में लिया गया सबसे ख़राब फैसला माना जाता है।

4- रोटेशन पालिसी

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सन्न 2011 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उस समय भारतीय टीम के कप्तान रहे धोनी ने रोटेशन पालिसी अपनाई। इस पालिसी के तहत उन्होंने टीम के अनुभवी बल्लेबाज़ वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर और सचिन तेंदुलकर को एक साथ न खिलाने का फैसला किया। इस सीरीज में धोनी ने तीनो को साथ में नहीं खिलाया और टीम को हार का सामना करना पड़ा। धोनी के इस फैसले की खूब आलोचना हुई।

5- आईपीएल में अम्पयार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए धोनी का मैदान में उतरना

Dhoni Angry In Ipl

वैसे तो धोनी शांत स्वाभाव के कप्तान माने जाते हैं। लेकिन 2019 आईपीएल में जब अंपायर ने सीएसके टीम के खिलाफ फैसला दिया तो धोनी ने अंपायर के फैसले को चुनौती देते हुए मैदान में घुस आये। धोनी के इस रवैये पर कई बड़े क्रिक्केटर ने नाराजगी जताई। वीरेंद्र सहवाग का कहना था कि धोनी अगर टीम इंडिया के कप्तान होते और अंपायर गलत फैसला देता तो धोनी इतना बड़ा इश्यु न खड़ा करते लेकिन फ्रेंचाइजी टीम के लिए उन्होंने अपनी कैप्टेन कूल की इमेज की भी परवाह नही की।

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