इस समय बच्चों द्वारा मोबाइल फोन चलाने का चलन काफी बढ़ा है। कोविड की वजह से भी बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई करने के बहाने फोन चलाते रहते हैं। वहीं चंचल बच्चों का मन मोबाइल में गेम खेलने में ज्यादा रहता है। अक्सर ये बच्चे पहले ये खेल मजे के लिए खेलते हैं लेकिन धीरे यह आदत बन जाती है फिर यह लत में बदलते हुए देर नहीं लगती है।
अक्सर बच्चों को पब्जी और फ्री फायर गेम में लिप्त होते हुए देखा जा सकता है। इन मोबाइल गेम्स को खेलने के चक्कर में बच्चे स्कूल का काम तो छोड़ ही देते हैं साथ ही साथ खाना-पीना भी भूल जाते हैं। गुजरात के बलसाड में फ्री फायर गेम के लत का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। आइये जानते हैं कि क्या है पूरा मामला-
दरअसल गुजरात के बलसाड में रहने वाले भगवान यादव का बेटा अभिषेक यादव फ्रीफायर के चक्कर में घर ही छोड़ दिया। वह बीते 9 दिसंबर को बलसाड से भागकर 684 किलोमीटर दूर पाली चला आया था। अभिषेक घर से इसलिए भागा था क्योंकि वह अपने माँ बाप द्वारा फोन छीन लेने से नाराज था। इसलिए घर से भागते समय में उसने एक पत्र भी लिखा।
पत्र में लिखा, मुझे मत ढूढ़ना, मै एक हजार रूपये लेकर जा रहा हूँ
अभिषेक अपने माँ-बाप द्वारा फ्री फायर गेम खेलने पर मोबाइल छीने जाने पर इतना चिडचिडा हो गया था कि उसने घर से भागने का फैसला कर लिया। घर से भागते हुए उसने एक पत्र लिखा, “मुझे मत ढूढ़ना, मै घर से 1 हज़ार रूपये लेकर जा रहा हूँ। सॉरी मम्मी, पापा, दीदी और भाई, मुझे जाना होगा, क्योंकि तुम लोग मुझे फ्री फायर गेम नही खेलने देते, मेरी बात नहीं सुनते हो, इसलिए मै घर छोड़ रहा हूँ, माँ तुम रोना नहीं, मै बहुत अच्छे से रहूँगा, माँ तुम्हारी बहुत याद आयेगी। आप पापा को बता देना कि मै जा रहा हूँ। सॉरी।”
रेलवे स्टेशन पर भटकते हुए मिला
अभिषेक जब घर से भागकर आया तो वह रानी स्टेशन पर पहुंचकर लोगों से आने वाली गाड़ी के बारे में पूछने लगा। स्टेशन पर मौजूद पॉइंटमैंन को उस पर कुछ शक हुआ। फिर उसने बच्चे को ले जाकर स्टेशन मास्टर के पास किया। इसके बाद स्टेशन मास्टर ने उसे पुचकार उसका इस तरह यहाँ आना कैसे हुआ, आदि पूछा। अभिषेक ने उन्हें अपने स्कूल का नाम भी बताया। इसके बाद स्टेशन मास्टर ने समझदारी दिखाते हुए गूगल पर स्कूल का नाम डालकर स्कूल का कॉन्टैक्ट नम्बर हासिल किया। फिर प्रिंसिपल से बात करने के बाद उसके माँ-बाप से संपर्क किया। फिर उसके माँ-बाप स्टेशन पर उसे लेने के लिए आये।
माता-पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई
अभिषेक का पत्र पाने के बाद उसके माँ-बाप ने उसकी ख़ोजबीन शुरू कर दी। आसपास के मोहल्ले में उसे खोजा और पूछा। फिर जब नहीं मिला तो पास वाले थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी। उन्होंने गाँव के आसपास अभिषेक के फोटो भी लगाये। फिर उन्हें रानी रेलवे स्टेशन से अभिषेक के बारे में जानकारी मिली।