जब भी किसी दो पक्ष के बीच मुकाबला होता है तो उसका निर्णय और नियमों का अवलोकन करने के लिए एक व्यक्ति होता है जिसे जज कहा जाता है। कानूनी प्रक्रिया में निर्णय देने वाले को जज जबकि खेल में निर्णय देने वाले व्यक्ति को अंपायर कहा जाता है। लगभग हर खेल में एक अंपायर जरूर होता है।
अगर क्रिकेट की बात की जाए तो इसमें अंपायर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। कभी-कभी अंपायर के एक निर्णय की वजह से मैच का रिजल्ट बदल जाता है। क्रिकेट में बहुत सारे नियम होते है। ग्राउंड पर उन नियमों की निगरानी करके रिजल्ट देना अंपायर की जिम्मेदारी और कर्तव्य होता है। क्रिकेट में अंपायर ग्राउन्ड पर खड़ा होता है। इनका काम खिलाडियों से भी मुश्किल होता है।
क्या आपने सोचा है कि क्रिकेट में अंपायर कैसे बनते हैं, अंपायर बनने के लिए पात्रता क्या होती है, क्या अंपायर बनने के लिए क्रिकेट खेलना जरूरी है? इन सबके बारें में आइये विस्तार से जानते हैं।
क्रिकेट अंपायर (Cricket Umpire) बनने हेतु प्रक्रिया
आपको बता दें कि अंपायर बनने के लिए क्रिकेट खिलाड़ी होना जरूरी नहीं है। अगर किसी ने क्रिकेट खेला है तो यह उसकी अतिरिक्त योग्यता मानी जायेगी।
1- देखने की क्षमता होनी चाहिए उत्तम
अंपायर बनने के लिए आपकी नज़र बहुत पैनी होनी चाहिए। कमज़ोर नज़र वाले अंपायर कभी नहीं बन सकते हैं। क्रिकेट मैदान पर हम सबने देखा होगा कि कभी भी कोई अंपायर नज़र के चश्मे पहनकर नहीं खड़ा होगा।
2- अच्छी फिटनेस
अंपायर अगर बनना है तो खिलाडियों की तरह अच्छी फिटनेस होनी चाहिए। ग्राउंड पर अक्सर देखा गया है कि कभी कभार गेंद अंपायर की तरफ आती है तो वह फुर्ती से बच जाते हैं। फिटनेस का महत्व अम्पायरिंग में भी होता है।
3- क्रिकेट नियमों की पूरी जानकारी
अगर जब तक किसी को क्रिकेट के बारें नहीं मालूम होगा वह अंपायर नहीं बन सकते है। अंपायर बनने के लिए क्रिकेट के नियमों की विस्तृत जानकारी होनी चाहिए। आपको बता दें कि जिस तरह से क्रिकेटरों के प्रदर्शन को आंककर उन्हें अलग अलग ग्रेड में रखा जाता है ठीक उसी तरह अम्पायरों के लिए भी ग्रेड कैटेगरी होती है।
BCCI ने चार ग्रेड में अंपायरों को विभाजित किया है। ग्रेड A में 20 अंपायर, ग्रेड B में 25, ग्रेड C में 35 और ग्रेड D में 40 अंपायर हैं। BCCI ग्रेड A अंपायरों को 40,000/दिन और अन्य को 30,000 रूपये/प्रतिदिन देता है।
क्रिकेट अंपायर बनने की प्रक्रिया
1- अंपायर बनने के लिए सबसे पहले सम्बंधित राज्य के क्रिकेट संघ के साथ पंजीकरण करना होता है। इसके बाद आपके नाम को राज्य संघ BCCI को भेजता है।
2- एक बार जब कोई स्थानीय मैचों में भाग लेता है तो राज्य संघ उसके नाम को BCCI द्वारा हर साल या दो साल में एक बार आयोजित होने वाली लेवल 1 की परीक्षा के लिए भेजा जाता है।
3- BCCI सभी आवेदकों के लिए 3 दिन की कोचिंग क्लास की व्यवस्था करता है। फिर चौथे दिन परीक्षा आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में मेरिट के आधार पर उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है। जब उम्मीदवार शॉर्टलिस्ट हो जाते हैं तो उन्हें एक इंडक्शन कोर्स करना होता है। जहाँ पर खेल के नियमों और उससे सम्बंधित एक मौखिक इंटरव्यू होता है।
4- शॉर्टलिस्टेड उम्मीदवारों के लिए एक और परीक्षा भी आयोजित की जाती है। यह प्रैक्टिकल और मौखिक भी हो सकती है।
क्रिकेट अंपायर कैसे बने ?
5- जो उम्मीदवार लेवल 1 की परीक्षा को पास कर लेते हैं वह लेवल 2 की परीक्षा में भाग लेते हैं। लेवल 2 की परीक्षा 1 साल बाद आयोजित की जाती है।
6- लेवल 2 परीक्षा जोकि लिखित, प्रैक्टिकल और वायवा के रूप में होती है, इसे पास करने वालों का फिर मेडिकल टेस्ट किया जाता है।
7- जो उम्मीदवार लेवल 2 की परीक्षा और मेडिकल टेस्ट को पास कर लेते है उन्हें एक इंडक्शन प्रोग्राम से गुज़रना पड़ता है। इसके पूरा होते है उसे BCCI का अंपायर घोषित कर दिया जाता है। BCCI का अंपायर घोषित होने के बाद घरेलु मैचों में अंपायरिंग करनी होती है। इसके बाद ही उनके लिए इंटरनेशनल मैचों में मौका मिलता है।
अंपायर के रिटायर होने की उम्र
फर्स्ट क्लास मैचों में अंपायरिंग करने वाले अंपायर की उम्र 55 वर्ष होती है। इसके अलावा वनडे में 58 और टेस्ट मैचों में अंपायरिंग करने वाले अंपायर को 60 वर्ष उम्र में रिटायर होना पड़ता है।
आपको बता दें कि ICC के अंपायरिंग पैनल में वनडे के लिए 93, टेस्ट क्रिकेट के लिए 62, T-20 के लिए 11 अंपायर शामिल हैं। भारत की तरफ से ICC अंपायर पैनल में एकमात्र अंपायर सुंदरम रवि हैं।
यह भी पढ़ें : धोनी बाकी खिलाड़ियों की तरह अपने हेलमेट पर तिरंगे झंडे का स्टीकर क्यों नहीं लगाते ?