Home अध्यात्म अंधविश्वास नहीं विज्ञान, जानिए 20 हिन्दू परंपरा और उनके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण

अंधविश्वास नहीं विज्ञान, जानिए 20 हिन्दू परंपरा और उनके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण

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अंधविश्वास नहीं विज्ञान, जानिए 20 हिन्दू परंपरा और उनके पीछे छिपे वैज्ञानिक कारण

अगर यह कहा जाए कि भारत की संस्कृति और सभ्यता दुनिया की सबसे धनी और सभ्य है तो यह गलत नहीं होगा। इसका उदाहरण भारतीय ग्रंथों और पुराणों में देखने को मिलता है। भले ही आज हम कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाए लेकिन कुछ परम्परा और रिवाज़ ऐसे है जो आज भी निभाए जाते है। आइये आज हम 20 हिंदू रीति-रिवाजों के बारें में जानते हैं और उनका वैज्ञानिक महत्व भी आपको बताते हैं..

1- दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार करना

हम भारतीय जब किसी से मिलते हैं तो अभिवादन के स्वरुप उसे हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं। यह किसी भी अपरिचित और मेहमान से परिचय की शुरुआत करने का पहला चरण होता है। इसका वैज्ञानिक महत्व भी होता है। जब दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है तो अंगुलियों के टिप्स आपस में जुड़ जाते हैं। यह टिप्स कानों, आँखों और दिमाग के प्रेशर पॉइंट होते हैं। जब दोनों हाथों को जोड़कर नमस्कार किया जाता है तो प्रेशर पॉइंट सक्रिय हो जाते हैं जिससे आप किसी व्यक्ति को लम्बे समय तक याद रखते हैं।

2- औरतों द्वारा बिछिया का पहनना

womens-toe-ring-and-payal पैर में बिछिया

बिछिया पैर की अंगूठी होती है। औरतों द्वारा बिछिया को पहनने का वैज्ञानिक महत्व यह है कि इससे खून का दौड़ा विनियमित रहता है। चांदी का बिछिया ध्रुवीय ऊर्जा को अवशोषित करके शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

3- माथे पर तिलक का लगाना

माथे पर तिलक लगाने का भी अपना महत्व है। यह शरीर को एकाग्र बनाए में मदद रखता है। इसके अलावा तिलक शरीर की ऊर्जा को नष्ट होने से बचाता है। आज भी जब भी कहीं पूजा होती है तो माथे पर तिलक जरूर लगाया जाता है।

4- नदी में सिक्के का फेंकना

अक्सर लोगों को नदी में सिक्के फेंकते हुए देखा जा सकता है। नदी में सिक्के को फेंकना किस्मत के लिए अच्छा माना जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक महत्व भी है क्योंकि जब हम सिक्के को नदी में फेंकते तो कॉपर के बने होने के कारण नदी के पानी से कॉपर मिल जाता है। नदी का पानी पीने के लिए उपयोग में लाया जाता है तो इससे शरीर में कॉपर का संतुलन बना रहता है।

5- मंदिरों में घंटी का लगना

Benefit Of Ringing Bell In Temple

दुनिया के लगभग हर मंदिर में घंटी जरूर होती है। यह मंदिर के द्वार पर लगी होती है। भक्त इसे मंदिर में जाते समय और मंदिर से निकलते समय बजाते हैं। घंटी बजाने का वैज्ञानिक महत्व यह है कि जब भी इसे बजाया जाता है तो इसकी गूँज 7 सेकंड तक रहती है, यही गूँज हमारे शरीर की सात हीलिंग केंद्रों को सक्रिय कर देती है। जिससे हमारे दिमाग में आने वाले सभी नकारात्मक विचार ख़त्म हो जाते हैं।

6- मसालेदार भोजन के बाद मीठे की खाने की परम्परा

अक्सर लोग खाना खाने के बाद मीठा खाना पसंद करते हैं। मसालेदार भोजन पाचक रस और एसिड को सक्रिय करने में मदद करता है जिससे शरीर में भोजन को पचाने की प्रक्रिया अच्छी तरह से चलती है। इसके बाद मीठा खाने से बनने वाले कार्बोहाइड्रेट पचे हुए भोजन को नींचे खींच लेते हैं।

7- हाथ और पैर में मेहँदी लगाना

ऐसा देखा गया है लड़का और लड़की शादी से पहले पैर और हाँथ में मेहँदी लगाते हैं। कहा जाता है कि मेहँदी लगाने से परेशानियाँ कम हो जाती है। इसलिए दूल्हा और दुल्हन को मेहँदी लगाई जाती है।

8- जमीन पर बैठ के खाना खाने की प्रथा

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खाना खाने की सबसे अच्छा तरीका बैठ कर खाना खाना होता है। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण यह है कि जब बैठ कर खाना खाया जाता है तो शरीर शांत रहता है और भोजन पचाने की क्षमता बढ़ती है। इससे मस्तिष्क को संकेत जाता है कि भोजन पचने के लिए तैयार है।

9- उत्तर की तरफ सर रख के न सोना

हिन्दू धर्म में उत्तर की तरफ सर रखने सोना अशुभ माना जाता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी दिया जाता है। कहा जाता है कि जब हम उत्तर की तरफ सर रख के सोते हैं तो पृथ्वी की तरह शरीर में चुंबकीय क्षेत्र होने के कारण यह विषम हो जाता है। इसकी वजह से शरीर में ब्लड प्रेशर, सर दर्द, संज्ञात्मक जैसी समस्यायों का सामना करना पड़ता है।

10- कानों में छेद करना

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भारत में कान छेदने की बहुत पुरानी परम्परा रही है। इसके पीछे यह वैज्ञानिक कारण दिया जाता है कि कान छेदने से बोली भाषा में संयम आता है। ऐसा करने से गंदे विचार और विकार मन में नहीं आते हैं।

11- सूर्य नमस्कार करना

जब भी योग की बात आती है तो सूर्य नमस्कार सबसे पहले ध्यान में आता है। योग के रूप में इसे काफी लम्बे से किया जाता रहा है। सूर्य नमस्कार करने से हमारी आँखें स्वस्थ रहती हैं। सूर्य नमस्कार हमारे शरीर को ऊर्जावान भी रखता है।

12- पुरुषों का सिर में चोटी का रखना

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मुंडन कराने के बाद सर के पीछे वाले भाग में चोटी रखने का रिवाज है। इस बारें में महान चिकित्सक और आर्युवेद के ज्ञाता सुश्रुति ऋषि ने कहा था कि इससे सिर के सभी नसों में गठजोड़ बना रहता है इस गठजोड़ को अधिपति मरमा कहा जाता है। यह बनायी गयी चोटी इस जगह की रक्षा करती है।

13- व्रत धारण करना

भारत में महिलाओं और पुरुषों द्वारा त्यौहार व अन्य मौकों पर व्रत रखने की बहुत पुरानी परम्परा है। इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण यह दिया जाता है कि मानव शरीर में 80% पानी होने से व्रत रखने पर शरीर में विवेक को बनाए रखने की क्षमता आती है। व्रत रखने का एक कारण यह भी होता है पाचन तंत्र को कुछ समय के लिए आराम दिया जाए।

14- झुककर चरण स्पर्श करना

चरण स्पर्श करना

भारतीय परम्परा में झुककर पैर छूना बड़ों के प्रति सम्मान व्यक्त करने और आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम तरीका माना गया है। वैज्ञानिक कारण इसके पीछे यह होता है कि शरीर में मस्तिष्क से लेकर पैरों तक नसें होती है। जब किसी के पैर छूते हैं तो शरीर की ऊर्जा शक्ति आपस में जुड़ जाती है। इससे शरीर में ऊर्जा आ जाती है।

15- विवाहित महिलाओं का सिन्दूर लगाना

भारत में हिन्दू महिलायें शादी के बाद माथे में बीच मांग में सिन्दूर लगाती है। यह विवाह की एक निशानी होती है। क्योंकि सिन्दूर हल्दी-चूने और पारा धातु के मिश्रण से बना होता है इसलिए इसे लगाने से ब्लड प्रेशर में नियंत्रण आता है। सिन्दूर में पारा मिला होने के कारण यह शरीर को दबाव और तनाव से मुक्त रखने में मदद रखता है।

16- पीपल के पेड़ की पूजा करना

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जैसा कि हम सभी जानते हैं पीपल के पेड़ में न तो फल लगता है और न ही फूल, फिर भी हिन्दू धर्म में इसे पवित्र माना गया है। लोग पीपल के पेड़ पूजा भी करते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पीपल ही एकमात्र ऐसा पेड़ है जो दिन के 24 घंटे वायुमंडल में आक्सीजन छोड़ता है। इसलिए किवदंती है कि इस पेड़ के महत्व के कारण हिन्दू धर्म में इतना पवित्र माना गया है जिसकी वजह से लोग इसकी पूजा करते हैं।

17- तुलसी के पेड़ की पूजा

पीपल के अलावा भारत में तुलसी के पेड़ को पूजने की बहुत पुरानी परम्परा रही है। इसे महिलाओं द्वारा माँ की तरह पूजा जाता है। वैसे तुलसी एक प्रकार से औषधि है। यह कई बीमारियों का समाधान भी करती है। कहा जाता है जहाँ तुलसी का पेड़ रहता हैं वहां की वायु शुद्ध रहती है। तुलसी के पेड़ को घर में रखने से घर में मच्छर और कीड़े मकौड़े नहीं आते हैं।

18- मूर्ति पूजन

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हिन्दू धर्म में मूर्ति की पूजा को सबसे ज्यादा महत्ता दी गयी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि मूर्ति की पूजा करने से प्रार्थना में एकाग्रता आती है। व्यक्ति मूर्ति को साक्षात मानके भगवान् की कल्पना करता है। इससे उसका दिमाग एक अलग ब्रह्माण्ड के बारें में सोचता है। इससे व्यक्ति की सोच विचार और अदृश्य शक्ति में विश्वास करने की क्षमता बढ़ती है।

19- औरतों का चूड़ी पहनना

भारतीय महिलाओं के हाथों में चूड़ी और कंगन आमतौर पर देखा जा सकता है। इसके पीछे शोधकर्ताओं का मानना है कि कलाई शरीर का वह हिस्सा है जिससे व्यक्ति की नाड़ी को चेक किया जाता है। इसके अतिरिक्त शरीर के बाहरी स्किन से गुजरने वाली बिजली को चूड़ियों की वजह से जब रास्ता नहीं मिलता है तो यह वापस शरीर में चली जाती है जिससे शरीर को फायदा होता है।

20- मंदिर में जाना

मंदिर का वातावरण एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा करता है जो वांछित उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां लोग मानते हैं कि भगवान मौजूद हैं। यही कारण है कि भगवान अपने भक्तों की खातिर मंदिरों में प्रकट होते हैं। मंदिर में जाने से घंटों और मन्त्रों की ध्वनि से शरीर में तरंगे उत्पन्न होती है जो हमारी तंत्रिका तंत्र को भावों को समझने में मजबूत बनाती हैं। मंदिर जाने से हमारे आसपास पूरे दिन सकारात्मकता रहती है जिससे हम अपना काम ढंग से करते हैं।

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