ड्रेस कोड कॉन्फिडेंस, डिसिप्लिन और प्रोफेशन को व्यक्त करने का एक माध्यम होता है। आये दिन हम ऐसे तमाम प्रोफेशन देखते हैं जिसका अपना एक अलग ड्रेस कोड होता है। फिर चाहे यह पुलिस, सेना, डॉक्टरी और वकील का हो। जब सभी प्रोफेशन का अपना ड्रेस कोड होता है तो उनका रंग भी निर्धारित होता है।
ऐसे ही एक प्रोफेशन है वकील का। हमने अक्सर देखा है कि वकील का कोट हमेशा काले रंग का होता है। क्या आपको पता है कि यह कोट काले रंग का ही क्यों होता है। आज हम इसके बारें में जानेंगे।
कोर्ट के डेकोरम को बनाए रखने और अन्य लोगों से अलग दिखने के लिए भी वकील काले रंग का कोट पहनते हैं और गले में एक सफ़ेद सी पट्टी बांधते हैं। न्यायपालिका में एक ड्रेस कोड होता है जिसके अनुसार जज भी एक ख़ास तरह की पोशाक पहनकर सुनवाई करते है।
रंगों का मतलब
ब्लैक एंड व्हाइट रंग में वकीलों की पोशाक कुछ अपवादों को छोड़कर दुनिया भर में कानूनी पेशे का प्रतीक है। काले रंग का आम तौर पर अलग-अलग तरह के मतलब होते हैं। हर रंग की तरह इसमें सकारात्मक और नकारात्मक दोनों अर्थ छिपा होता हैं। एक ओर यह मृत्यु, बुराई और रहस्य का संकेत देता है, जबकि दूसरी ओर यह शक्ति और अधिकार का प्रतीक भी है।
काले रंग को दो कारणों से चुना गया था। सबसे पहले पुराने जमाने में अन्य रंग की डाई तब आसानी से उपलब्ध नहीं थी। हालाँकि, ‘ब्लैक कोट’ पहनने के पीछे मुख्य कारण यह है कि ब्लैक अथॉरिटी और पावर का रंग है। ब्लैक खुद को प्रस्तुत करने का प्रतिनिधित्व करता है।
सफेद रंग प्रकाश, अच्छाई, मासूमियत और पवित्रता को दर्शाता है। एक कानूनी प्रणाली के रूप में एक आम आदमी के लिए न्याय की एकमात्र उम्मीद यह दिखाता है। इसलिए न्याय का प्रतिनिधित्व करने के लिए सफेद रंग चुना जाता है। याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों पक्ष एक समान ड्रेस कोड पहनते हैं। रंग का महत्व इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि कानून अंधा है।
काले रंग का अर्थ है अपारदर्शी और इसलिए अभियोजन और बचाव के पक्ष को तब तक अज्ञात माना जाता है जब तक कि उन्हें कानून द्वारा ड्रेस कोड से पुष्टि नहीं की जाती है, इसलिए ‘ब्लैक गाउन’ पहना जाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
आपको बता दें कि वकालत की शुरुआत साल 1327 में एडवर्ड III ने शुरू की। उस समय सिर्फ जज की वेशभूषा ही तय थी। साल 1694 में जब ब्रिटेन की महारानी क्वीन मैरी की चेचक से मृत्यु हुई तो उनके पति विलियम्स ने सभी जजों और वकीलों को आदेश दे दिया कि शोक के रूप में सभी काला गाउन पहनकर आएं। तब से लेकर अब तक इस आदेश को रद्द नहीं किया गया है। यही नियम फिर पूरी दुनिया में फ़ैल गया।
वकीलों के काले कोट को लेकर एक और कहानी मशहूर है
काले और सफेद ड्रेस कोड की उत्पत्ति 17वीं शताब्दी में हुई। काले और सफेद रंग को अचानक से नहीं चुना गया। दरअसल 1685 के फरवरी में राजा चार्ल्स द्वितीय की मृत्यु हो गई। लोगों ने उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त करने के लिए एक काले और सफेद गाउन पहनना शुरू किया। उस समय से वकीलों के लिए यह वर्दी डिज़ाइन की गई है।
यदि हम हॉलीवुड की फिल्मों और पुरानी फोटो को देखे तो पाएंगे कि उस समय जज सर पर एक विग पहनते थे। भारत में अधिनियम 1961 के तहत कोर्ट में सफ़ेद बैंड टाई के साथ काला कोट पहनकर आना अनिवार्य किया गया था। तब से लेकर अब तक यह वकीलों की पहचान बना हुआ है।
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