वो दौर जब लाल बहादुर शास्त्री जी के कहने पर पूरा देश सप्ताह में एक दिन का उपवास रखने लगा था

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2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री की जन्मतिथि पड़ती है। लाल बहादुर शास्त्री भारत के सबसे दृढ़ इच्छा शक्ति वाले प्रधानमंत्री रहे हैं। भारत को स्वतंत्रता दिलाने में लाल बहादुर शास्त्री का बहुत बड़ा हाथ रहा है। शास्त्री 16 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई छोड़कर असहयोग आंदोलन में शामिल हुए थे। उन्होंने भारत की समृद्धि और उन्नति के लिए ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा दिया था। आइये आज जानते हैं कि क्यों शास्त्री जी के कहने पर पूरा देश हफ्ते में एक दिन उपवास करने लगा था।

1- पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद वह 1964 में प्रधानमंत्री बने। उनके शासन में पाकिसान के युद्ध हुआ। उस समय देश में भयंकर सूखा पड़ा हुआ था। देश को अनाज के लिए अमेरिका और किसी अन्य देश के सामने हाथ न फैलाना पड़े इसके लिए उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। इसके लिए उन्होंने सभी देशवासियों से हफ्ते में एक बार उपवास रखने की अपील की थी। शास्त्री जी को देश इतना मानता था कि पूरा देश उस समय उपवास रखने लगा था।

Lal Bahadur Shastri Biography and Facts

2- शास्त्री नेहरू जी की मृत्यु के बाद भारत के प्रधानमन्त्री बने थे। शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता का नाम शारदा प्रसाद तथा माता का नाम राम दुलारी था। शास्त्री जब डेढ़ साल के थे तो तभी उनके पिता की मृत्यु हो चुकी थी।

3- जब शास्त्री के पिता की मृत्यु हो गई तब वह उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु अपने चाचा के साथ रहने के लिए भेज दिए गए। बचपन में घरवाले उन्हें ‘नन्हे’ नाम से बुलाते थे। लाल बहादुर कई मील की दूरी तय करके स्कुल पढने जाते थे। मात्र 11 साल की उम्र में उनके देश भक्ति की इच्छा जागी थी।

4- 16 की उम्र में लाल बहादुर ने गांधी से प्रभावित होकर अपनी पढाई छोड़ दी और असहयोग आन्दोलन में शामिल हो गए। इसके अलावा 1930 में दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में भी वह शामिल हुए।

Lal Bahadur Shastri Ji

5 – लाल बहादुर शास्त्री ने बाद में आगे की शिक्षा पूरी करने के लिए काशी विद्यापीठ में दाखिला लिया। विद्यापीठ की ओर से उन्हें स्नातक की डिग्री दी गयी। इस डिग्री का नाम ‘शास्त्री’ था। इसके बाद लाल बहादुर अपने नाम के आगे शास्त्री लगाने लगे।

6- महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन में शामिल होने की वजह से उन्होंने अपनी जिंदगी के 7 साल जेल में काटें। उन्होंने ये 7 साल ब्रिटिश जेल में बिताये।

7 – आजादी के बाद जब भारतीय सरकार बनी तो शास्त्री दिल्ली आ गए और नेहरु के मंत्रिमंडल में रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री और नेहरू जी की बीमारी के समय बिना विभाग के मंत्री भी रहे।

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8- अपने आह्वान में उन्होंने कहा था कि अपने पेट पर रस्सी बांधों और साग-सब्जी ज्यादा खाओ। हफ्ते में एक दिन उपवास रखो देश को अपना मान दो। गांधी जी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि मेहनत प्रार्थना के समान होती है।

9- शास्त्री जी लोकतंत्र में जनता को ही सबकुछ मानते थे। उनका कहना था कि जो शासन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर कितना भरोसा करते हैं।

10- शास्त्री जी की मृत्यु आज भी रहस्यापद है। 10 जनवरी 1966 में रूस के ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर करने के 12 घंटे के बाद उनकी मृत्यु 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में ही हो गयी।

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