भारत का राष्ट्रीय खेल भले ही हॉकी हो, लेकिन यह बात हम सभी जानते हैं कि लोकप्रियता के मामले में हॉकी तथा कोई भी अन्य खेल क्रिकेट की बराबरी नहीं कर सकता। हमारे देश में क्रिकेट पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। आईपीएल से लेकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में एक क्रिकेट खिलाड़ी लाखों-करोड़ों रुपए कमाता है। वहीं दूसरी तरफ ऐसे खिलाड़ी भी हैं जो सालों मेहनत करके देश के लिए ओलंपिक व अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतकर भी गुमनाम हैं और पैसों की कमी से जूझ रहे हैं।
यह एक विडंबना है कि हम ऐसे खिलाड़ियों का नाम तक नहीं जानते। लेकिन इसके पीछे दोष किसका है ? हमारे देश के खेल मंत्रालय का ? या फिर हमारा खुद का जो हम सिर्फ क्रिकेट के पीछे ही पागल हुए बैठे हैं ? इस पर विचार करना आवश्यक है।
आज हम आपको एक ऐसी ही राष्ट्रीय स्तर की ताइक्वांडो खिलाड़ी Diana Ningombam के बारे में बता रहे हैं जो कई बार देश का नाम रोशन कर चुकी हैं लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि आर्थिक तंगी के चलते इस महिला खिलाड़ी को सड़कों पर फ्रूट चाट बेचनी पड़ रही है। आप इस से अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में और भी ना जाने कितने ऐसे टेलेंटेड खिलाड़ी होंगे जो मूलभूत सुविधाओं के अभाव में आगे नहीं बढ़ पाते। ये वाकई एक चिंताजनक विषय है।
मजबूरी में सड़क पर बेचनी पड़ रही है फ्रूट चाट :
Diana मणिपुर की रहने वाली हैं और इन्होंने 2006 में ताइक्वांडो खेलना शुरू किया था। अपने 12 साल के ताइक्वांडो करियर में अब तक वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुल 15 मेडल जीत चुकी हैं। पिछले साल ही 2018 में उन्होंने साउथ कोरिया में आयोजित ताइक्वांडो प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता था। अब वह इसी साल हॉन्ग कॉन्ग में होने वाले ताइक्वांडो टूर्नामेंट की तैयारी कर रही है लेकिन पैसों की तंगी के चलते Diana को प्रैक्टिस के साथ साथ फ्रूट चाट बेचने का काम भी करना पड़ रहा हैं ताकि वह कुछ पैसे कमा सके।
वह तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी है और उसके पिता एक मैकेनिक हैं। वह अपनी मदद के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रहना चाहती बल्कि खुद की मेहनत पर विश्वास रखती हैं। इसीलिए सुबह जल्दी उठकर फ्रूट चाट बनाने की तैयारी करने लगती हैं और फिर 4 बजे से लेकर 7 बजे तक इसे बेचती हैं। जो वहां के स्थानीय लोग हैं वो Diana को जानते हैं और उनकी हौसला अफज़ाई भी करते हैं। कई नेकदिल ग्राहक ऐसे भी हैं जो उन्हें किमत से ज्यादा पैसे भी दे जाते हैं। इससे उसकी 300 400 रुपए की कमाई हो जाती हैं। फ्रूट चाट बेचकर वह प्रैक्टिस करने चली जाती हैं।
ताइक्वांडो टूर्नामेंट के लिए कर रही हैं मेहनत :
Diana का कहना है कि जब उन्होंने पहली बार खेलना शुरू किया तब इतनी परेशानी नहीं होती थी लेकिन राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने पर हर खिलाड़ी का खर्च बढ़ जाता हैं। ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी स्वयं खिलाड़ियों को ही उठाना पड़ता हैं। जो गरीब खिलाड़ी हैं उनको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। ऐसे में जब तक सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिलती, खुद ही पैसे कमाने का जरिया ढुंढना पड़ता हैं ताकि आगे आने वाले टूर्नामेंट में हिस्सा ले सकें।
सोशल मीडिया पर Diana की हो रही है तारीफ :
I am with Diana Ningombam now at Kangla park. She is busy preparing fruit salads to the passerby. Let us support her. pic.twitter.com/j8XsT6coUm
— Chowkidar Naorem Mohen (@laimacha) April 28, 2019
जब लोगों को Diana के इस संघर्ष की कहानी पता चली तो सोशल मीडिया पर लोग उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं और काफी तारीफ भी कर रहे हैं। कई लोग उनकी मदद करने के लिए भी आगे आ गए हैं और ट्विटर पर हमारे देश के खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को टैग करके मदद की गुहार लगा रहे हैं।
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