मेहनत मुश्किल को आसान बना देती हैं। आपने कई मेहनती लोगों के कारनामों के बारे में सुना होगा। हाल ही में मांझी द माउंटमैन के बारें में खूब चर्चा हुई। उनपर एक फिल्म भी बनी। आने जाने के लिए मांझी ने एक पहाड़ को काट डाला था। उनके इस परिश्रम और लगन को लोगों द्वारा खूब सराहा गया। बिना सरकारी मदद के उन्होंने गाँव वालों के लिए अपनी मेहनत से रास्ता बना डाला। ऐसी ही बुनियादी जरूरत को एक बार एक और आदमी ने अपनी मेहनत से पूरा किया है।
जिस बुनियादी जरूरत को उन्होंने पूरा किया है वह है पानी। पानी को जीवन माना जाता है। सूखाग्रस्त इलाकों में पानी का महत्व बहुत होता है। सरकार द्वारा कई सूखाग्रस्त इलाकों में कई पहल चलायी गयी है जिसकी मदद से वहां पर पानी को जमा करने का जुगाड़ हो पाया है। इसी से सम्बंधित हम आपको एक प्रेरणादायी कहानी बताने जा रहे। यह कहानी है 85 साल के कामेगौड़ा की।
आइये जानते हैं कामगौड़ा के अदम्य साहस की कहानी। कामेगौड़ा कर्नाटक के मंडावली के रहने वाले हैं। उनका पेशा किसानी है। इसके साथ ही वह कई जानवर भी पाले हुए हैं। इन जानवरों को चराने के लिए वह हर दिन खेतों में जाया करते हैं। उनकी जीविका खेती पर निर्भर है।
कामेगौड़ा ने खुद के दम पर खोद डालें 16 तालाब
कामेगौड़ा के गाँव में पानी की बहुत समस्या थी। इससे गाँव वालों को बहुत परेशानी होती थी। किसी को भी इस समस्या से निपटने के लिए कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। इसी को लेकर कामेगौड़ा के मन में आया क्यों न तालाब खोदकर पानी को जमा किया जाए। इससे गाँव में पानी की समस्या ख़त्म हो सकती है। इसके बाद कामेगौड़ा ने तालाब खोदना शुरू किया।
कामेगौड़ा ने पहले एक तालाब खोदा। बारिश के बाद पानी वहां जमा हुआ। इसके बाद गाँव में पानी की समस्या कुछ कम हुई। फिर उन्होंने एक और तालाब खोदने की ठानी। निरंतर तालाब खोदते हुए उन्होंने दूसरा तालाब भी खोद डाला। इस तरह से गाँव में पानी की समस्या और भी कम हो गयी। इससे कामेगौड़ा को और उत्साह मिला। उन्होंने सोचा क्यों न और तालाब खोदा जाय और गाँव में पानी की समस्या को जड़ से ख़त्म किया जाय।
इसके बाद उन्होंने तीसरा, चौथा और इसी तरह 16 तालाब खोद डाले। इन तालाबों के खोदने से फायदा यह हुआ कि पहले जो बारिश का पानी इधर उधर चला जाता था अब तालाब में इकठ्ठा होने लगा। कामेगौड़ा दौरा खोदे गए 16 तालाब उस इलाके में पानी की समस्या को ख़त्म करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक कर चुके है तारीफ
कामेगौड़ा का प्रयास इलाके के बड़े ओहदे पर बैठे लोगों को पता चला तो उन्होंने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा को दी। येदुरप्पा ने उनके द्वारा किये गए इस अनुकरणीय काम तारीफ करते हुए उनके लिए कर्नाटक स्टेट ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन की तरफ राज्य सरकार की बसों में हर कैटेगरी में उनके लिए किराया आजीवन मुफ्त कर दिया।
कर्नाटक परिवहन निगम के प्रबंधक ने फ्री पास बनाये जाने के बारे में कहा है कि यह इसलिए किया गया है कि ताकि लोग कामेगौड़ा के प्रयासों को पहचाने और उनकी तारीफ करें। उन्होंने कामेगौड़ा को ‘मैंन ऑफ़ पॉन्ड’ का नाम दिया। प्रधानमन्त्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कामेगौड़ा के काम की तारीफ कर चुके हैं।
कामेगौड़ा खेती के साथ-साथ सामजिक उद्धार का काम करते हुए इलाके में बहुत फेमस हो चुके हैं। अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने कई लोगों को प्रभावित किया है। उनका काम इलाके के लिए प्रेरणा बन चुका है।
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