हर व्यक्ति अपने जीवन में खुश रहना चाहता है लेकिन सुख-दुख दोनों ही मनुष्य के जीवन का हिस्सा है। जब हम दुःखी होते हैं तो इसका कारण सोचने की बजाय दूसरों को दोष देने लगते हैं। जबकि आचार्य चाणक्य का कहना है कि कई बार व्यक्ति खुद ही अपने जीवन का सुख चैन नष्ट कर लेता है। तो कई बार उसके अपने परिवार वाले भी इसका कारण बनते हैं। आपको बता दें कि अगर आचार्य चाणक्य के महान विचारों को अपने जीवन में लागू किया जाए तो वाकई हमारा जीवन आसान और सफल हो सकता है।
जो व्यक्ति आचार्य चाणक्य द्वारा बताई हुई नीतियों को अपने जीवन में उतारकर इनका सही पालन करता है वह अपने जीवन में कभी असफल व निराश नहीं होता। चाणक्य ने अपनी नीतियों के माध्यम से 6 ऐसे कारण बताये हैं जिनसे व्यक्ति के जीवन का सुख-चैन भंग हो जाता है और वह दुःखी रहने लगता हैं।
इस आपाधापी के युग में मनुष्य हर वक्त यहीं सोचता रहता है कि उसके पास हर वो कीमती चीज हो जो दूसरों के पास है, भले ही उसे उस चीज की जरूरत हो या न हो लेकिन फिर भी उसके मन में उस चीज को पाने की इच्छा रहती हैं। ऐसा व्यक्ति कभी खुश नहीं रह पाता जो अपनी चीजों से संतुष्ट होने की बजाय दूसरों की चीजों को पाने की लालसा रखता हैं।
कई बार कुछ लोग ना चाहते हुए भी मजबूरी में ऐसे व्यक्ति के अधीन रहकर काम करते हैं जिसे वे जाति, धर्म, बुद्धि और ज्ञान की असमानता के आधार पर अपने से नीचा समझते हैं और सोचते हैं कि उनको उसके नीचे नहीं बल्कि ऊपर होना चाहिए। ऐसे व्यक्ति भी कभी खुश नहीं रह पाते। बेहतर यही है कि किसी के प्रति ऐसी भावना ना रखें और अपनी मेहनत के बलबूते पर ऊपर उठने की कोशिश करें।
खराब भोजन खाने से हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता हैं जो व्यक्ति जानते हुए भी खराब खाने को नजरंदाज करके अपनी सेहत से खिलवाड़ करता है वह कभी सुखी नहीं रह सकता। क्योंकि लंबे समय तक खराब व हानिकारक भोजन करने से दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगते हैं जो मनुष्य का सुख-चैन छीन लेते हैं।
अगर किसी व्यक्ति की शादी ऐसी महिला से हो जाती है जिसका गुस्सा नाक पर रहता है और हमेशा छोटी-छोटी बातों पर भी अपने पति से झगड़ती रहती हैं तो वह व्यक्ति कभी खुश नहीं रह पाता और उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता हैं। यहीं बात महिलाओं पर भी लागू होती है अगर पति गुस्सा करने वाला हो तो महिला अपने जीवन में कभी शांति से नहीं रह पाती।
जब कोई पुत्र अपने पिता की बातों पर मानने की बजाय मनमानी करने लगे तो उस पिता से ज्यादा दुखी कोई नहीं होता। जब बेटा अपने पिता व परिवार की इज्जत की परवाह किए बगैर गलत रास्ते पर चलने लगता हैं तो माता-पिता की समाज में बदनामी होती हैं और उसके माता-पिता चैन से नहीं रह पाते।
हर पिता अपनी बेटी को जान से भी ज्यादा प्यार करता है। एक पिता के लिए वह क्षण सबसे कष्टकारी होता हैं जब उसकी बेटी विधवा हो जाती हैं। अपनी पुत्री को विधवा अवस्था में देखना पिता के लिए सबसे दुखदाई होता हैं और ऐसा पिता हमेशा बेटी को लेकर चिंतित रहता है।
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