पिछले साल केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि सरकार ने आसान और गाड़ियों के मूवमेंट में बाधा डाले बिना टोल कलेक्शन के लिए GPS आधारित सिस्टम को अंतिम रूप दे दिया है। इससे भारत को आने वाले दो सालों में टोल बूथ से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन अभी ऐसा कुछ नहीं हुआ है और टोल बूथ पर लोगों को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हाल ही में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है।
बता दें कि कर्नाटक के उडुपी शहर में स्थित हेजामाडी गांव के लोगों ने टोल बूथ से बचने के लिए नया रास्ता निकाला है। गांव के लोगों की शिकायत थी कि हेजामाडी गांव के पास स्थित टोल गेट पर टोल बहुत ज्यादा था। इसलिए ग्राम पंचायत ने इससे परेशान होकर टोल बूथ के बगल से एक कच्ची रोड बना दी और अपने वाहन वहां से निकालने लगे।
हेजामाडी गांव के लोगों को टोल बूथ से गुजरना पड़ता था, जो गांव की सीमा में आता है। जब उडुपी टोलवे प्राइवेट लिमिटेड ने हेजामाडीनेशनल हाईवे टोलगेट पर हेजामाडी गांव जाने वाले सभी वाहनों की मुफ्त आवाजाही रोक दी, तो गांव के लोगों ने पंचायत (क्रम संख्या 21) अध्यक्ष प्रणेश हेजामाडी से शिकायत की।
प्रणेश ने यह बात अधिकारियों के सामने रखी, लेकिन वहां कोई सुनवाई नहीं हुई। इसलिए उन्होंने टोल बूथ के समानांतर एक सड़क बना दी। यह सड़क 30 मार्च को बनाई गई थी। यह सड़क 30 मार्च को बनाई गई थी। इसके बाद टोल गेट के ठेकेदार हेजामाडी ग्रामीणों के नाम पर पंजीकृत सभी वाहनों की मुफ्त आवाजाही की अनुमति देने पर सहमत हो गए।
इस संबंध में उन्होंने ग्राम पंचायत को पत्र लिख कर सहमति व्यक्त की कि सभी हल्के मोटर वाहनों, कारों, निजी बसों सहित स्कूल बसों सहित टोल भुगतान से छूट दी गई है। टोल ठेकेदारों ने अपने पत्र में कहा है कि ऐसे वाहनों को ही छूट मिलेगी जो ग्राम पंचायत सीमा के भीतर के पते पर पंजीकृत होंगे।