क्या आप जानते हैं रेल की पटरी पर पत्थर क्यों होते हैं ? चलिए जानें इसके पीछे का कारण

आपने अगर ट्रेन में सफर किया होगा तो आपने ट्रेन की पटरी को जरूर देखा होगा। इन ट्रेन की पटरियों के बीच में सफ़ेद पत्थर रखा जाता है। इन्हें देखने के बाद क्या आपके मन में आया कि आखिर दोनों पटरियों के बीच में सिर्फ पत्थर का ही इस्तेमाल क्यों करते है?

इसकी जगह नार्मल गिट्टी या ईट का इस्तेमाल क्यों नहीं करते हैं? आपने जरूर इस बारें में सोचा होगा। अगर आप ट्रेन की पटरियों के बीच में रखें पत्थरों के कारणों को नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से इस बारें में विस्तार से बताएँगे।

ट्रेन की पटरी की निर्माण संरचना

दरअसल ट्रेन की पटरी दिखने में जितनी साधारण होती है, असल में उतनी होती नहीं है। इन पटरियों का निर्माण काफी नाप जोखकर और वैज्ञानिक तथ्यों को ध्यान में रखकर किया जाता है। पटरी के नीचे कंक्रीट की बनी प्लेट होती है जिसे प्लेट कहते हैं इन्हे स्लीपर भी कहा जाता है। इन स्लीपर के नीचे पत्थर यानी कि गिट्टी होती है जिसे ब्लास्टर कहते हैं।

इसके नीचे अलग-अलग दो लेयर में मिटटी होती है और इन सबके नीचे नार्मल जमीन होती है। पटरी को गौर से देखने के बाद आप इसके निर्माण की बारीकी को समझ पाएंगे। चलिए जानते हैं ट्रेन की पटरी के बीच में पत्थर होने के 5 कारण

1- स्लीपर को स्थिर रखने के लिए

ट्रैक पर बिछे पत्थर पटरी नीचे लगे हुए कंक्रीट से बने स्लीपर को एक जगह स्थिर रखने में सहायक होते हैं। अगर ट्रैक पर ये पत्थर न हो तो कंक्रीट से बने ये स्लीपर अपनी जगह पर नहीं रहेंगे। इससे ट्रेन के आने पर पटरियों के फ़ैल जाने या सिकुड़ जाने का डर बना रहेगा।

2- पटरी पर पेड़-पौधें न उगने पाएं

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ट्रेन के ट्रैक पर सफ़ेद गिट्टी बिछाने का एक और कारण यह है कि ट्रैक पर कोई पेड़ या पौधा न उगने पाये। जरा सी घास या पौधा उग आने से ट्रेन की आवाजाही में खलल पड़ सकता है। पत्थर बिछे रहने ने कोई घास तक पटरी पर नहीं उग नहीं पाती है।

3- पटरियों को फैलने से बचाने के लिए

जब पटरी पर ट्रेन दौडती है तो इन पटरियों में कम्पन्न उत्पन्न होता है। अगर पटरियों पर इन पत्थरों को न बिछाया जाय तो पटरियों के फैलने का डर बना रहता है। कम्पन्न को कम करने के लिए बीच में पत्थर डाले जाते है।

4- स्लीपर को स्थिर रखने में आसानी

Indian railway picture

ट्रेन जब पटरी पर दौडती है तो सारा वजन कंक्रीट के बने स्लीपर पर आ जाता है। स्लीपर के आसपास पत्थर होने से स्लीपर इधर-उधर खिसकता नहीं है। इससे स्लीपर को स्थिर रखने में मदद मिलती है और ट्रेन की आवाजाही संभव हो पाती है।

5- जल भराव न हो

ट्रेन की पटरियों के बीच में पत्थर इसलिए भी बिछाएं जाते है कि जब भी कभी बारिश हो तो बीच में पानी न जमा हो। जब बरसात का पानी पत्थर की गिट्टियों पर गिरता है तो यह गिट्टियों की दरारों से होते हुए ट्रैक के नीचे चला जाता है। इसलिए जलभराव नहीं होता है। ट्रैक पर रखें पानी में बहते भी नहीं है। इसलिए पत्थरों को ट्रैक पर बिछाया जाता है।

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