क्यों गंगा नदी का पानी कभी नहीं होता खराब, शोध में सामने आई यह बात

0
1
why ganga water is pure

साफ़ और स्वच्छ पानी इंसान की मौलिक जरूरत है। पहले के जमाने में लोग नदियों और कुओं से पानी पिया करते थे। यह पानी साफ़ भी होता था। लेकिन अब यह पानी पीने के लायक नहीं है। लेकिन भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा का पानी आप किसी बोतल में सालों तक रख दें तब भी यह पानी खराब नहीं होगा, इसमें कीड़े नहीं पड़ेंगे, इससे दुर्गन्ध नहीं आएगी।

आखिर क्या कारण है गंगा का पानी ख़राब नहीं होता है। क्या इसमें कोई दैवीय शक्ति होती है। आइये इस बारें में विस्तार से जानते हैं।

Ganga Nadi Haridwar

गंगा नदी का उद्भव गंगोत्री से हुआ है। गंगा नदी की पवित्रता और अवतरण के सम्बन्ध में कई कहानियां मौजूद हैं। ऐसी अवधारणा है कि गंगा में नहाने से पाप धुल जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान भागीरथ की वजह से गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। गंगा नदी शिव जी के सिर पर भी विद्द्मान हैं।

जब कोई व्यक्ति मरने वाला होता है तब उसे गंगाजल दिया जाता है ताकि उसकी आत्मा को शांति मिल सके और वह स्वर्ग में निवास कर सके। इसके लिए जब लोग गंगा में स्नान करने जाते हैं तो अपने साथ एक बोतल या कोई अन्य बर्तन लेके जाते हैं जिसमे वह गंगा का पानी भरते हैं और घर पर लाकर रख देते हैं। यह पानी पूजा-पाठ के दौरान बहुत उपयोग होता है। सालों तक रखने के बाद भी इस पानी में कोई कीड़ा या कीटाणु नही पड़ते हैं।

कुदरत का करिश्मा मानते हैं कुछ लोग

Ganges 620x342 1

कुछ लोग पानी के ख़राब न होने के पीछे कुदरत का करिश्मा मानते हैं। लोगों का कहना है कि माँ गंगा की दैवीय शक्ति की वजह से गंगा का पानी कभी ख़राब नहीं होता है। हालांकि वैज्ञानिकों ने इस पर एक रिसर्च की। जिसमे पता चला कि गंगा के जल में एक वायरस होता है जो पानी को ख़राब नहीं होने देता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगा के जल में उपस्थित यह वायरस जल को निर्मल बनायें रखता है। इस वजह से जल में सडन नही पैदा होती है।

अगर इतिहास के पन्ने को पलट करके देखा जाय तो पता चलेगा कि सन्न 1890 में जब अर्नेस्ट हैकिंग गंगा के पानी पर रिसर्च कर रहे थे तो उस समय देश में भयंकर महामारी फैली हुई थी। हैजा का प्रकोप हर जगह था। जो लोग हैजा से मर रहे थे उन्हें गंगा नदी में बहाया जा रहा था। हैकिंग को डर था कि कही जो लोग नदी में नहाते हैं अगर वे शवों के अवयवों के संपर्क में आये तो उन्हें भी हैजा हो सकता है।

Aad 2079076 835x547 M

लेकिन जब हैकिंग ने अपनी रिसर्च पूरी की तो उन्हें पता चला कि इसके बावजूद भी गंगा का जल शुद्ध था। इस जल में कोई भी बैक्टीरिया या जीवाणु नहीं मौजूद थे।
हैकिंग ने गंगा के जल पर लगभग 20 साल तक रिसर्च की। इस दौरान उन्होंने पाया कि गंगा के जल में एक वायरस होता है जो पानी को खराब नहीं होने देता है।

उन्होंने इस वायरस को ‘निंजा वायरस’ नाम दिया था। हाल में हुई शोधों में यह बात पता चली है कि निंजा वायरस की वजह से ही पानी में कोई जीवाणु नहीं रहते हैं। यही वजह है कि गंगा का पानी हमेशा शुद्ध रहता है और कभी ख़राब नहीं होता है।

यह भी पढ़ें :क्या आप जानते हैं पेन के ढक्कन में छेद क्यों होता है ? अगर नहीं जानते तो जान लीजिये

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here