शादी करने की क़ानूनी उम्र लड़कों के लिए 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल होती है हालांकि सरकार लड़कियों के लिए भी 21 साल शादी की उम्र करने पर विचार कर रही है। क़ानून के मुताबिक वर्तमान में अगर कोई अपने बेटी की निर्धारित उम्र से कम में शादी करता है तो उसे अपराध माना जाता है। यह अपराध तब और संगीन हो जाता है जब कोई नाबालिग लड़की को भगा ले जाता है।
अभी पिछले साल ही साक्षी-अजितेश का मामला खूब चर्चा में आया में था। दोनों बालिग़ थे इसलिए उनपर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। उस समय इसी तरह के कई और केस भी सामने आये थे। फिर भी अगर कोई किसी बालिग़ लड़की को भी उसके घर से बिना उसके सरंक्षक के इजाजत से भगा लाता है तो लड़की के परिवार वालों को हक़ है कि वह लड़के के खिलाफ बहलाने-फुसलाने का केस दर्ज कर सकते है।
विवाहित महिला को भगा ले जाने पर सजा
यह तो बात हुई गैरशादीशुदा लड़की की। लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी शादीशुदा महिला को भगाकर ले जाता है तो उसके खिलाफ क्या मुकदमा बनता है? क्या यह कोई आपराधिक कृत्य है? इस स्थिति में पति क्या कर सकता है? आपने ऐसे केसेस के बारे में रोज अखबारों में पढ़ते होंगे तो आइये इन सबके बारे में विस्तार से जानते हैं।
ऐसा देखा गया है कि जैसे-जैसे हम विकसित हो रहे वैसे-वैसे हमारे रिश्ते कमजोर पड़ रहे हैं। वैवाहिक रिश्ते ख़राब होने का सबसे बड़ा कारण है अवैध संबंध का बनना। कोई महिला या पुरुष किसलिए अवैध संबंध बनाते हैं या इसके प्रति क्यों आकर्षित होते हैं इसके बहुत से कारण होते हैं। जैसे एक-दूसरे को समय न दे पाना, शारीरिक असंतुष्टि, पैसों का लालच, प्यार की कमी, भावना की कद्र आदि।
लेकिन यह सच है रिश्ते का यह खेल हर देश, हर शहर, हर क़स्बे और हर घर में हो रहा है। कहीं पर बात उजागर हो जाती है तो कहीं पर छुपी रह जाती है। यह समाज का सच है। इसलिए आपके लिए यह जानना जरूरी हो जाता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी शादीशुदा महिला को भगाकर ले जाता है तो उसके खिलाफ क्या केस बनता है?
भारतीय दंड सहिंता (IPC),1860 की धारा 498 की परिभाषा
जब भी कोई व्यक्ति किसी महिला को उसके पति या सरंक्षक से बहला-फुसलाकर या कोई लालच देकर भगा ले जाता है तो इस मामले में व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। व्यक्ति आईपीसी की धारा 498 के अंतर्गत दोषी माना जायेगा।
विशेष: इस धारा के अंतर्गत तभी अपराध माना जायेगा जब महिला की मर्जी व्यक्ति के साथ न हो। अगर महिला अपनी मर्जी से व्यक्ति के साथ भागी है तो कोई भी अपराध नहीं बनेगा। इसके अलावा तब भी अपराध नहीं माना जायेगा जब महिला का कोई संरक्षक महिला को व्यक्ति के साथ जाने की इजाजत दिया हो।
आईपीसी 1860 की धारा 498 के अंतर्गत दंड का प्रावधान
जब कोई व्यक्ति महिला को उसकी मर्जी के बिना भगाकर ले जाता है तो यह असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध माना जाता है। इसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट में की जा सकती है। अपराध साबित होने पर दोषी व्यक्ति को दो साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई जा सकती है।
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